by Admin on 2025-04-20 09:29:38
सूरजपुर, 20 अप्रैल 2025: सूरजपुर जिले के रामानुजनगर विकास खंड में शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। विकास खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) पं. भारद्वाज पर हमर उत्थान सेवा समिति ने कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कर स्कूलों से लाखों रुपये की अवैध वसूली का गंभीर आरोप लगाया है। आरोप है कि बीईओ ने स्वतंत्रता सेनानियों, महापुरुषों, और नेताओं के वुडन फोटो फ्रेम की सप्लाई के नाम पर स्कूलों के विकास कोष को लूटा। यह मामला क्षेत्र में आक्रोश का कारण बन गया है, और लोग प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
आरोपों का खुलासा: फोटो फ्रेम के नाम पर लूट
शिकायत के अनुसार, बीईओ पं. भारद्वाज ने रायपुर के माँ कर्मा ट्रेडर्स, एमजी रोड के जरिए रामानुजनगर विकास खंड के सभी प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, राष्ट्रपति, और महात्मा गांधी के वुडन फोटो फ्रेम सप्लाई करवाए। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और नियमों की अनदेखी के गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
- वसूली का तरीका : प्रत्येक फ्रेम की कीमत 620 रुपये तय की गई, और हर स्कूल को 5 फ्रेम (कुल 3100 रुपये) खरीदने का आदेश दिया गया। यह राशि स्कूलों के विकास ग्रांट से सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) के माध्यम से वसूली जा रही है।
- प्रभावित स्कूल: विकास खंड में 216 प्राइमरी और 92 मिडिल स्कूल, कुल 308 स्कूल हैं। इस हिसाब से अनुमानित वसूली लाखों रुपये तक पहुंच सकती है।
- पारदर्शिता पर सवाल : फोटो फ्रेम की खरीद में कोई निविदा (टेंडर) नहीं निकाली गई, न ही स्कूलों से उनकी जरूरत पूछी गई। यह एकतरफा निर्णय बीईओ की संदिग्ध मंशा को उजागर करता है।
यह राशि, जो बच्चों की शिक्षा और स्कूलों की बुनियादी सुविधाओं के लिए थी, को गैर-जरूरी फोटो फ्रेम पर खर्च करना न केवल वित्तीय अनियमितता है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ विश्वासघात भी है।
पहले भी विवादों में रहे बीईओ पं. भारद्वाज
यह पहली बार नहीं है जब बीईओ पं. भारद्वाज पर अनियमितता के आरोप लगे हैं। शिकायत में बताया गया कि सीएम जतन योजना के तहत भी उन पर लाखों रुपये की हेराफेरी और कमीशनखोरी का आरोप था।
- सीएम जतन योजना में घपला :
जांच में पाया गया कि स्कूलों में निर्माण कार्य अधूरे थे, जबकि भुगतान पूरा हो चुका था। जनपद सदस्यों ने बीईओ पर ठेकेदारों से मोटा कमीशन लेकर घटिया निर्माण कराने का आरोप लगाया था।
- जांच का हाल:
इस मामले की शिकायत सरगुजा आयुक्त और कलेक्टर से की गई थी, लेकिन जांच अधूरी है, और जांच रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई।
- प्रशासन की निष्क्रियता:
पूर्व में कार्रवाई न होने से बीईओ के हौसले बुलंद हुए, जिसके चलते वे बार-बार ऐसी गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं।
प्रशासन की इस चुप्पी ने न केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है, बल्कि जनता के बीच विश्वास की कमी को भी जन्म दिया है।
हमर उत्थान सेवा समिति की मांग: निष्पक्ष जांच और कठोर कार्रवाई
हमर उत्थान सेवा समिति ने इस मामले को गंभीरता से उठाते हुए कलेक्टर से निम्नलिखित मांगें की हैं:
तत्काल निलंबन: बीईओ पं. भारद्वाज को तुरंत उनके पद से हटाया जाए, ताकि वे जांच को प्रभावित न कर सकें।
स्वतंत्र जांच: मामले की जांच किसी बाहरी विभाग, से कराई जाए।
पारदर्शी प्रक्रिया : जांच में शिकायतकर्ता को शामिल किया जाए, ताकि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ न हो।
कानूनी कार्रवाई : दोषी पाए जाने पर बीईओ और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कर कठोर सजा दी जाए। समिति ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो वे इस मुद्दे को और व्यापक स्तर पर उठाएंगे।
क्षेत्र में उबाल: जनता में आक्रोश
यह घोटाला रामानुजनगर और सूरजपुर जिले में चर्चा का केंद्र बन गया है। शिक्षा के नाम पर हो रही इस लूट ने अभिभावकों, शिक्षकों, और सामाजिक संगठनों में गहरा रोष पैदा किया है।
- शिक्षकों पर दबाव:
कई स्कूलों के प्राचार्य और शिक्षक इस वसूली के खिलाफ हैं, लेकिन बीईओ के दबाव में चुप्पी साधे हुए हैं। कुछ शिक्षकों ने गुप्त रूप से सामाजिक संगठनों को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद मामला सामने आया।
- सामाजिक संगठनों की सक्रियता:
हमर उत्थान सेवा समिति ने इस मामले को और उजागर करने के लिए जन जागरूकता अभियान शुरू करने की योजना बनाई है। अन्य संगठन भी इस मुद्दे पर एकजुट हो रहे हैं।
- जनता के सवाल : लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर प्रशासन की चुप्पी क्यों? क्या भ्रष्टाचार को संरक्षण देने की कोई साजिश है?
बच्चों का भविष्य दांव पर: एक भावनात्मक अपील
यह घोटाला केवल आर्थिक अनियमितता का मामला नहीं है, बल्कि यह उन लाखों बच्चों के भविष्य से जुड़ा है, जो सूरजपुर जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर शिक्षा की आस लगाए बैठे हैं। स्कूलों में पहले से ही बुनियादी सुविधाओं की कमी है—कई स्कूलों में न पर्याप्त शिक्षक हैं, न पीने का पानी, न शौचालय, न बिजली। ऐसे में, विकास के लिए आई राशि का दुरुपयोग होना एक अक्षम्य अपराध है।
- टूटते सपने:
प्रत्येक फोटो फ्रेम के पीछे छिपा है एक बच्चे का टूटा सपना। यह राशि अगर किताबें, डेस्क, ब्लैकबोर्ड, या अन्य सुविधाओं पर खर्च होती, तो शायद किसी बच्चे का भविष्य संवर सकता था।
- विश्वासघात:
बीईओ जैसे अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार ने न केवल प्रशासनिक विश्वास को ठेस पहुंचाई, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग—ग्रामीण बच्चों—के साथ विश्वासघात किया है।
प्रशासन के लिए सुझाव
1. तत्काल जांच समिति: एक स्वतंत्र जांच समिति गठित करें, जिसमें शिक्षा विभाग से बाहर के अधिकारी शामिल हों।
2. पुरानी शिकायतों का निपटारा : सीएम जतन योजना से जुड़ी जांच को पूरा कर रिपोर्ट सार्वजनिक करें।
3. पारदर्शिता : स्कूल ग्रांट के उपयोग की ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक करें।
4. कानूनी कार्रवाई : प्रारंभिक जांच में बीईओ की संलिप्तता पाए जाने पर **भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम** के तहत मुकदमा दर्ज करें।
जनता की भूमिका: अब चुप्पी नहीं
यह मामला केवल प्रशासन और शिकायतकर्ता तक सीमित नहीं है। सूरजपुर की जनता, खासकर अभिभावक, शिक्षक, और युवा, इस मामले में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं:
न्याय की उम्मीद
सूरजपुर का यह घोटाला शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। हमर उत्थान सेवा समिति ने इस मामले को सामने लाकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, लेकिन असली जीत तब होगी, जब दोषियों को सजा मिलेगी और स्कूलों का पैसा बच्चों के विकास में लगेगा। प्रशासन को अब अपनी चुप्पी तोड़नी होगी। क्या सूरजपुर के बच्चे उस शिक्षा का हक पाएंगे, जो उनका अधिकार है? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में है, जो शिक्षा और पारदर्शिता में विश्वास रखता है।