by Admin on 2025-06-03 07:16:55
सूरजपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जो स्कूल शिक्षा विभाग के भार साधक मंत्री भी हैं। वे स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्त करण को लेकर विभाग प्रमुख होने के नाते इसके फायदे बताते हुए लीड कर रहे हैं। सब कुछ तय होते हुए भी उनकी टीम ने ग्राउंड लेवल पर अच्छा होमवर्क नहीं किया गया। जिसकी वजह से यह प्रक्रिया अपने साथ कई विवाद लेकर सामने आई है। इस विवाद को रंग देने के लिए जिला शिक्षा अधिकारियों की बड़ी भूमिका रही हैं, ऐसा ही मामला सूरजपुर जिले में हुई काउंसलिंग की प्रक्रिया में देखने को मिल रहा है। शिक्षक नेताओं ने एक के बाद एक कई गंभीर आरोप लगाए हैं।अपनी कार्य शैली के लिए चर्चित सूरजपुर की जिला शिक्षा अधिकारी भारतीय वर्मा के लिए यह सुर्खियों का डबल डोज है। जो मीडिया में तैर रहा है।
जिले में सबसे अधिक गंभीर आरोप पद छुपाने का लग रहा है। शिक्षकों का आरोप है कि सीनियर जूनियर हो रहा है और जूनियर सीनियर हो रहा है इसके मानक तय करते समय कई जगहों पर गलतियां हुई है। सारी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से नहीं की गई किसी भी प्रकार का दावा आपत्ति करने का समय नहीं दिया गया। अतिशेष और स्कूलों की सूची तक लुका छिपी खेलते हुए जारी की गई।
गौरतलब है कि सूरजपुर की जिला शिक्षा अधिकारी की कार्यशैली से सत्ता पक्ष के नेता भली भांति परिचित है।ऐसा लगता है कि जिले के एक सबसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी भी प्रत्यक्ष रूप से उनके कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं। यही वजह है कि युक्तियुक्तिकरण में प्रारंभिक रूप से कई विसंगतियां आई तो जिले के इस बड़े अधिकारी को कहना पड़ा है कि किसी भी प्रकार की पदस्थापना गड़बड़ी, दोषपूर्ण कार्यवाही के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम कर रहा शिक्षा विभाग दोषी होगा।
इसके अलावा सूरजपुर जिले में 2023 में जो शिक्षक भर्ती और पदस्थापना हुई थी उसमें मिडिल स्कूल में कई ऐसे गड़े हुए मामले भी सामने आए हैं जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग ने बिना सेटअप के पद स्थापना कर दिया है। नतीजा कुछ मिडिल स्कूल के शिक्षकों का वेतन किसी दूसरे हेड या अन्य स्कूल से निकल रहा है। ऐसे में युक्तियुक्तकरण में सीनियर शिक्षक जूनियर हो गया है। रायपुर से हुई इस भर्ती प्रक्रिया की ऑनलाइन काउंसलिंग में इतनी बड़ी गलतियां कहीं ना कहीं रायपुर में बैठे अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े कर रही है।
रायपुर के अधिकारियों पर उठने सवाल इसलिए भी लाजमी है क्योंकि उनमें से कई ऐसे अधिकारी हैं जो 2023 की शिक्षक भर्ती और इसकी पदस्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थे और आज इनमें से कुछ लोग रायपुर में बैठकर इस युक्ति युक्तिकरण की प्रक्रिया में भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभा रहे हैं। इनमें से कुछ अधिकारी सहायक शिक्षकों के पद के लिए बीएड और डीएड विवाद मामले में भी कहीं ना कहीं जवाब देही भूमिका में रहे है।
जानकारी आम है कि बस्तर सरगुजा संभाग में 2023 में शिक्षकों के सभी पदों पर भर्तीयां हुई थी इन भर्तियों की ऑनलाइन काउंसलिंग की गई थी। जिसमें सड़क के किनारे बहुत से सुविधाजनक स्कूलों में कई शिक्षको की पद स्थापना कर दी गई। सबसे अधिक मिडिल स्कूलों में गड़बड़ी सामने आई है। अब सड़क किनारे सुविधाजनक स्कूलों पर वीआईपी शिक्षक जमे हुए है। जिनका परिवीक्षा अवधि में भी गजब का जलवा है। और जलवे के तार रायपुर से मिले हुए हो सकते है। यही वजह है कि स्कूल के सेटअप में पद नहीं होने पर भी पद स्थापना कर दी गई। नतीजा सीनियर जूनियर होकर अतिशेष की श्रेणी में आने के बाद युक्ति कारण की प्रक्रिया में उलझा हुआ है और अब अव्यवस्था के तीर सरल सहज मुख्यमंत्री के ऊपर लगते हुए दिखाई दे रहे है।