by Admin on 2025-06-04 09:57:11
Cp sahu
सूरजपुर, 04 जून 2025: एक बार फिर विश्वास टूटा है, एक बार फिर जनता के भरोसे पर चोट पहुंची है। सूरजपुर जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. प्रिंस जायसवाल की कहानी ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है, बल्कि हर उस व्यक्ति के दिल में गुस्सा और निराशा भर दी है, जो सिस्टम पर भरोसा करता है। फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी हासिल करने का यह मामला केवल एक व्यक्ति की धोखाधड़ी की कहानी नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य जैसे संवेदनशील क्षेत्र में लापरवाही और भ्रष्टाचार का काला अध्याय है।
विश्वासघात की कहानी
डॉ. प्रिंस जायसवाल, जिन्हें लोग एक जिम्मेदार अधिकारी के रूप में देखते थे, ने साबरमती विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री के दम पर नौकरी हासिल की। यह खुलासा तब हुआ, जब सूरजपुर के पुलिस अधीक्षक ने उनकी डिग्री की जांच की। सच सामने आया तो हर कोई स्तब्ध रह गया। यह वही पद था, जो जनता की सेहत और भलाई के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेता है। लेकिन जिस व्यक्ति को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी, वह खुद धोखे की बुनियाद पर खड़ा था।
जांच में सामने आया कि डॉ. जायसवाल ने अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए समय मांगा, लेकिन उनके पास कोई ठोस जवाब नहीं था। न तो उनके पास अदालत का स्थगन आदेश था, न ही कोई विश्वसनीय दस्तावेज। आखिरकार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने मानव संसाधन नीति-2018 के तहत उनकी संविदा सेवा को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया। लेकिन क्या यह सजा पर्याप्त है? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में है, जो इस घटना से आहत है।
विवादों का साये में जायसवाल
डॉ. जायसवाल का नाम विवादों से अनजान नहीं है। कोरिया जिले में उनकी तैनाती के दौरान भी उन पर कई गंभीर आरोप लगे थे। आर्थिक अनियमितताओं की शिकायतें आज भी जांच के दायरे में हैं। फिर भी, वह सूरजपुर में एक महत्वपूर्ण पद पर बने रहे। यह बात स्थानीय लोगों के गुस्से को और भड़का रही है। आखिर कैसे एक व्यक्ति बार-बार सिस्टम को धोखा देता रहा? क्यों नहीं समय रहते उसकी सच्चाई सामने आई?
जनता का दर्द, सिस्टम पर सवाल
यह मामला केवल डॉ. जायसवाल तक सीमित नहीं है। यह उस सिस्टम पर सवाल उठाता है, जो फर्जी दस्तावेजों को पकड़ने में नाकाम रहा। सूरजपुर के लोग गुस्से में हैं। सामाजिक संगठनों और स्थानीय कर्मचारियों की मांग है कि डॉ. जायसवाल के खिलाफ सख्त अपराधिक कार्रवाई हो। उनका कहना है कि यदि ऐसे लोगों को केवल नौकरी से हटाकर छोड़ दिया जाएगा, तो यह अन्य धोखेबाजों को और प्रोत्साहन देगा।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह सिर्फ एक नौकरी का सवाल नहीं है। यह उन लोगों की सेहत का सवाल है, जिनके लिए एनएचएम काम करता है। अगर ऐसे लोग हमारे स्वास्थ्य की जिम्मेदारी संभालेंगे, तो हम किस पर भरोसा करें?”
कब होगी अपराधिक प्रकरण दर्ज
अब सूरजपुर की जनता और प्रशासन के सामने एक बड़ा सवाल है- क्या इस मामले में केवल सेवा समाप्ति ही काफी है? क्या डॉ. जायसवाल के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज होगा? यह घटना एक चेतावनी है कि सिस्टम में पारदर्शिता और कठोर निगरानी की कितनी जरूरत है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन इस मामले में सख्त कदम उठाएगा, ताकि भविष्य में कोई और इस तरह का विश्वासघात न कर सके।
यह कहानी केवल सूरजपुर की नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक सबक है। यह हमें याद दिलाती है कि विश्वास और जिम्मेदारी के पदों पर बैठे लोगों की जवाबदेही तय करना कितना जरूरी है। क्या सूरजपुर का यह मामला एक बदलाव की शुरुआत बनेगा, या फिर यह भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? यह वक्त बताएगा। लेकिन आज, सूरजपुर की जनता का दर्द और गुस्सा हर उस व्यक्ति की आवाज बन गया है, जो सिस्टम से न्याय की उम्मीद करता है।