by Admin on 2025-06-09 14:35:51
सूरजपुर। 9 जून 2025। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया भारी विवादों में घिर गई है। जिला और विकासखंड स्तर पर गठित समिति जिनमें जिला कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), जैसे वरिष्ठ जिम्मेदार अधिकारी शामिल हैं। पर समझ नहीं आ रहा ड्राइविंग सीट पर कौन बैठा है। गलती पर भविष्य में सुशासन की सरकार किसका चालान कटेगी। युक्ति युक्तकरण में सबसे अधिक दागदार छवि जिला शिक्षा अधिकारी भारती वर्मा की उभर कर आ रही है। इन पर नियमों की धज्जियां उड़ाने और मनमानी का गंभीर आरोप लगा है। शिक्षक साझा मंच ने सप्रमाण दस्तावेजों के साथ कलेक्टर, सांसद और विधायक को ज्ञापन सौंपकर इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। शिक्षकों ने विशेष रूप से जिला शिक्षा अधिकारी भारती वर्मा के व्यवहार और समितियों की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा किया है।
विकासखंड और जिला स्तरीय समितियों का गठन युक्तियुक्तकरण को पारदर्शी और नियमबद्ध बनाने के लिए किया गया था। विकासखंड समिति में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) अध्यक्ष, विकासखंड शिक्षा अधिकारी सदस्य सचिव, और सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी, स्त्रोत समन्वयक, महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी सदस्य हैं। इसका दायित्व स्कूलों व अतिशेष शिक्षकों का चिन्हांकन, रिक्त पदों की सूची बनाना और इन्हें जिला समिति को भेजना था। जिला समिति में जिला कलेक्टर अध्यक्ष, जिला शिक्षा अधिकारी सदस्य सचिव, और जिला पंचायत सीईओ, नगर निगम आयुक्त, महिला बाल विकास अधिकारी सदस्य हैं, जो सूचियों का परीक्षण कर पदस्थापना आदेश जारी करती है।
शिक्षक साझा मंच ने आरोप लगाया कि समितियों ने पारदर्शिता की कमी बरती। वरिष्ठता सूची छिपाकर वरिष्ठ शिक्षकों को दूरस्थ स्कूलों में भेजा गया। काउंसलिंग की सूचना 31 मई को सोशल मीडिया पर जारी कर 1 जून को जल्दबाजी में आयोजित की गई, जिससे कई शिक्षक शामिल नहीं हो सके। 9 रिक्त पदों पर 37 महिला शिक्षिकाओं को नियुक्ति से वंचित कर पुरुष शिक्षकों को प्राथमिकता दी गई। कई स्कूलों में पहले से मौजूद विषय के व्याख्याता के बावजूद उसी विषय के नए शिक्षकों की पदस्थापना कर दी गई, जिससे अतिशेष की स्थिति फिर बनी।
जिला शिक्षा अधिकारी भारती वर्मा पर तानाशाही और अभद्र व्यवहार के गंभीर आरोप हैं। शिक्षकों का कहना है कि 3 जून को अनुपस्थित शिक्षकों को काउंसलिंग का दूसरा अवसर देने का वादा तोड़ा गया और उन्हें डांटकर लौटाया गया। 6 जून को 4 जून की तारीख के साथ आदेश जारी किए गए, और उसी दिन दोपहर में 7 जून तक कार्यमुक्ति की जानकारी मांग ली गई। 4 बजे की डेडलाइन ने शिक्षकों में हड़कंप मचा दिया, जबकि अगले दो दिन अवकाश होने से कार्यभार ग्रहण में असमंजस रहा।
संकुल समन्वयकों और छह माह में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों के साथ भी अन्याय हुआ। सरगुजा जिले में संकुल समन्वयकों को छूट दी गई, लेकिन सूरजपुर में उन्हें अतिशेष घोषित किया गया। बिना दावा-आपत्ति की प्रक्रिया के मनमाने ढंग से अतिशेष घोषित करने से शिक्षकों में रोष है। शिक्षक साझा मंच ने सोशल मीडिया पर वायरल दस्तावेजों के साथ अपनी बात रखी है, जिसने समितियों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।
जिला प्रशासन और समितियां प्रक्रिया को नियमों के अनुरूप बताती हैं, लेकिन शिक्षकों के सप्रमाण आरोपों ने इन दावों को खोखला साबित किया है। विष्णु देव साय सरकार ने गड़बड़ियों पर सख्त कार्रवाई का वादा किया था। अब सवाल है कि क्या जिला कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी और समितियों के अन्य सदस्यों पर कार्रवाई होगी..!
युक्तियुक्तकरण के नाम पर पीठ थपथपाने की कोशिश करने वाला प्रशासन अब बैकफुट पर है। शिक्षकों का आक्रोश और नियमों की अनदेखी ने इस प्रक्रिया को विवादों में ला दिया है। सरकार और प्रशासन के अगले कदम पर सबकी नजर है।