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2025-06-11 11:38:50
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2025-06-11 11:41:08
Cp sahu
सुरजपुर। 10 जून 2025: छत्तीसगढ़ शासन के "कार्यालय आयुक्त, सरगुजा संभाग, अंबिकापुर" ने रामानुजगंज विकासखंड के प्रभारी ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) प.भारद्वाज को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में लापरवाही के आधार पर की गई है। आयुक्त नरेन्द्र कुमार दुग्गा ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए निलंबन आदेश जारी किया।
युक्तियुक्तकरण में लापरवाही और अनियमितताएं
शासकीय आदेश के अनुसार, राज्य शासन के निर्देशानुसार स्कूलों में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (पुनःशुल्किकरण) के लिए प.भारद्वाज को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जांच में पाया गया कि श्री भारद्वाज ने इस प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं बरतीं। प्रमुख मामलों में निम्नलिखित खामियां सामने आईं:
शा.उ.मा.वि. भुवनेश्वरपुर में गलत रिपोर्टिंग
रामानुजगंज विकासखंड के शा.उ.मा.वि. भुवनेश्वरपुर में अंग्रेजी विषय के दो पद रिक्त दिखाए गए, जबकि पहले से ही चार अंग्रेजी व्याख्याता वहां कार्यरत थे। इसके बावजूद, श्री भारद्वाज ने गलत तरीके से दो रिक्त पद दिखाकर युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को प्रभावित किया, जिससे अतिरिक्त व्याख्याताओं की आवश्यकता समाप्त हो गई।
प्राथमिक स्कूलों में छात्र संख्या में हेरफेर
प्राथमिक शाला मरकामडीह, प्रा.शा. जपला और प्रा.शा. देवकन्हार केन्द्र-डायन कोड में छात्र संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया। प्रत्येक स्कूल में एक-एक अतिरिक्त शिक्षक पद की आवश्यकता दर्शाई गई, जबकि वास्तव में इसकी जरूरत नहीं थी। इससे शासन के संसाधनों का दुरुपयोग हुआ।
शा.उ.मा.वि. सुपेबेड़ा में अनियमितता
शा.उ.मा.वि. सुपेबेड़ा में कला संकाय के शिक्षक राजेश कुमार जायसवाल ने विज्ञान विषय का चार्ज ले लिया और बाहर से विज्ञान विषय का शिक्षक पद रिक्त दिखाया गया। यह कृत्य भी गलत था, क्योंकि वहां अतिरिक्त शिक्षक की कोई आवश्यकता नहीं थी।
भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के गंभीर आरोप
श्री प.भारद्वाज पर आर्थिक अनियमितता, अवैध वसूली, सामग्री आपूर्ति में गड़बड़ी और सीएम जतन योजना में अनियमितताओं के गंभीर आरोप हैं। ग्रामीणों और स्थानीय लोगों ने शिकायत पत्र देकर इन मुद्दों को उठाया था, लेकिन जांच आज तक नहीं हुई है। ना ही आवेदक को जांच के संबंध में कोई सूचना दिया गया है।
शासन का सख्त रुख: जीरो टॉलरेंस नीति
आयुक्त नरेन्द्र कुमार दुग्गा ने इस मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए श्री प. भारद्वाज को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 के उल्लंघन और स्वेच्छाचारिता का दोषी पाया। इसके तहत, उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (विलय सेवा शर्तें, नियुक्ति एवं अपील) नियम 1966 के नियम 9(1) (क) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। निलंबन अवधि के दौरान श्री भारद्वाज को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा और उनका मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, बलरामपुर-रामानुजगंज निर्धारित किया गया है।
भ्रष्टाचार की भूमिका और शासन की कार्रवाई
यह मामला छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का एक और उदाहरण है। श्री भारद्वाज पर लगे आरोपों में आर्थिक अनियमितता और अवैध वसूली शामिल हैं, जो शैक्षिक व्यवस्था और सरकारी योजनाओं, खासकर सीएम जतन योजना, को प्रभावित करते हैं। इस योजना का उद्देश्य शिक्षा और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है, लेकिन ऐसे कृत्यों से शासन की छवि और जनता का विश्वास डगमगाता है। आयुक्त नरेन्द्र कुमार दुग्गा ने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ शासन भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रहा है।
जांच में देरी की शिकायत
हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि श्री भारद्वाज के खिलाफ शिकायतें लंबे समय से लंबित थीं, जिसकी जांच आज तक नहीं हुआ है। यह निलंबन कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ शासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, लेकिन जांच की पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करना भी जरूरी है। श्री भारद्वाज के खिलाफ लगे आरोपों की गहन जांच होना चाहिए।