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भ्रष्टाचार की हद: जीवित शैल कुमारी को मृत बताकर लूटी जमीन, तहसीलदार पर गिरी गाज

by Admin on 2025-06-13 13:43:10
Last updated by Admin on 2025-06-13 14:07:55

भ्रष्टाचार की हद: जीवित शैल कुमारी को मृत बताकर लूटी जमीन, तहसीलदार पर गिरी गाज

Cp sahu 

सूरजपुर, 13 जून 2025: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में राजस्व विभाग की काली करतूतों ने एक बार फिर प्रशासन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भैयाथान तहसील में तहसीलदार संजय राठौर की शर्मनाक हरकत ने एक निर्दोष महिला के हक को छीना और यह उजागर किया कि कैसे सत्ता और रसूख के दम पर आम जनता का शोषण हो रहा है। जीवित शैल कुमारी दुबे को कागजों में मृत घोषित कर उनकी 0.405 हेक्टेयर जमीन को फर्जी तरीके से हड़पने का यह सनसनीखेज मामला राजस्व विभाग में फैले भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को बेपर्दा करता है। सरगुजा संभागायुक्त नरेंद्र कुमार दुग्गा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए राठौर को निलंबित तो कर दिया, लेकिन यह सवाल अब भी हवा में तैर रहा है—क्या यह कार्रवाई महज खानापूर्ति है, या भ्रष्टाचार के खिलाफ आगे भी कार्यवाही होते रहेगी। 

सूरजपुर जिले के ग्राम कोयलारी की रहने वाली शैल कुमारी दुबे ने 26 मई 2025 को तहसीलदार संजय राठौर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में उन्होंने बताया कि उनकी 0.405 हेक्टेयर जमीन (खसरा नंबर 45/3, नया खसरा नंबर 344) को तहसीलदार ने सांठगांठ कर उनके सौतेले पुत्र वीरेंद्रनाथ दुबे के नाम फर्जी तरीके से ट्रांसफर कर दिया। हैरानी की बात यह थी कि इस घिनौने खेल में शैल कुमारी को कागजों में मृत दिखाया गया, जबकि वह जीवित हैं और अपने हक के लिए लड़ रही हैं। इस शिकायत ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया।

शिकायत की गंभीरता को देखते हुए अपर कलेक्टर सूरजपुर और तहसीलदार लटोरी की संयुक्त जांच कमेटी गठित की गई। 9 जून 2025 को सौंपे गए जांच प्रतिवेदन (क्रमांक 99/अ.कले./2025) ने तहसीलदार राठौर की मनमानी को पूरी तरह बेनकाब कर दिया। रिपोर्ट में साफ हुआ कि राठौर ने नियमों को ताक पर रखकर एक जीवित महिला को मृत बताकर उनकी जमीन का नामांतरण कराया, जो प्रथम दृष्टया अनैतिक और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 का खुला उल्लंघन है। राठौर की इस स्वेच्छाचारिता और लापरवाही ने उनके पदीय दायित्वों को कलंकित किया।

जांच के निष्कर्षों के आधार पर सरगुजा संभागायुक्त ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम 1966 के तहत राठौर को तत्काल निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा, और उनका मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय, बलरामपुर-रामानुजगंज में रहेगा। इस कार्रवाई ने प्रशासनिक हलकों में भूचाल ला दिया है।

सूरजपुर का यह मामला राजस्व विभाग में व्याप्त गड़बड़ियों की महज एक बानगी है। एक ही कुर्सी पर दशकों से जमे हुए बाबू और अधिकारी, फर्जी दस्तावेजों का खेल, रिश्वतखोरी का बोलबाला, और नियमों की आड़ में आम जनता का शोषण—यह सब इस विभाग की पहचान बन चुका है। सूरजपुर जैसे छोटे जिले में तहसीलदार स्तर पर इतना बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद यह सवाल और गंभीर हो गया है कि बड़े शहरों और तहसीलों में कितने और शैल कुमारी अपने हक से वंचित होंगे?

संभागायुक्त की यह कार्रवाई निश्चित रूप से स्वागतयोग्य है, और जनता इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती का प्रतीक मान रही है। लेकिन यह महज एक शुरुआत है। कब तक एक-एक करके भ्रष्ट अधिकारी निलंबित होते रहेंगे? कब राजस्व विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी? कब एक ही कुर्सी पर जमे बाबुओं को हटाकर नई व्यवस्था लाई जाएगी? कब फर्जीवाड़े और रिश्वत के इस जाल का खात्मा होगा?


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