by Admin on 2025-07-21 13:09:09
सूरजपुर। जिले में इन दिनों नकली ऑटो पार्ट्स और लुब्रीकेंट्स का धंधा बड़े पैमाने पर चल रहा है। शहर के प्रमुख बाजारों में कास्ट्रॉल, हीरो, सर्वो, एचपी जैसे मशहूर ब्रांड्स के नाम से मिलते-जुलते डुप्लीकेट उत्पाद खुलेआम बेचे जा रहे हैं। ये नकली सामान असली से 20% से 60% तक सस्ते दामों पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे अनजान ग्राहकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
स्थानीय वाहन मालिक राजेश वर्मा ने बताया कि उन्होंने कास्ट्रॉल का ऑयल समझकर एक दुकान से तेल खरीदा था। मात्र 500 किलोमीटर चलने के बाद ही उनकी बाइक के इंजन में अजीब आवाज आने लगी। जब उन्होंने मैकेनिक को दिखाया तो पता चला कि वह ऑयल नकली था और उसने इंजन को नुकसान पहुंचा दिया है। ऐसे सैकड़ों मामले रोज सामने आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। हमारी टीम ने जब गुप्त रूप से कुछ दुकानों पर पड़ताल की तो पाया कि दुकानदार एक ही प्रोडक्ट को दो अलग-अलग दामों पर बेच रहे हैं। असली और नकली सामान की पहचान कर पाना आम ग्राहक के लिए मुश्किल होता है। कुछ दुकानदारों ने तो यहां तक स्वीकार किया कि उन्हें पुराना इंजन ऑयल 30-40 रुपये लीटर के भाव में मिलता है, जिसे फिल्टर करके नए डिब्बों में पैक कर बाजार में उतार दिया जाता है।
ऑटो एक्सपर्ट रवि पटेल ने बताया कि नकली ऑयल और पार्ट्स का इस्तेमाल करने से न सिर्फ वाहन का माइलेज कम होता है, बल्कि इंजन की लाइफ भी घट जाती है। कई बार तो यह गंभीर दुर्घटनाओं का कारण भी बन सकते हैं। उन्होंने सलाह दी कि ग्राहकों को हमेशा अधिकृत डीलर से ही पार्ट्स खरीदने चाहिए और बिल व वारंटी की मांग अवश्य करनी चाहिए। पिछले कुछ वर्षों पूर्व पुलिस ने कुछ छापेमारी अभियान चलाए थे, जिले के कुछ ऑटो पार्ट्स दुकानों से नकली इंजन ऑयल बरामद किए थे।
जिसके बाद ऑटो पार्ट्स दुकानदार ब्रांड कंपनी के नाम से डुबली केट इंजन ऑयल बेचना बंद कर दिए थे। वर्तमान में कार्रवाई नहीं होने से थोक ऑटो पार्ट्स विक्रेताओं के गोदाम धड़ल्ले से बड़े पैमाने पर ब्रांड कंपनी के ऑटो पार्ट्स, इंजन ऑयल रखे हुए है। इस ओर स्थानीय प्रशासन, उपभोक्ता संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने इस मामले में कोई गंभीर पहल नहीं की है, जिससे यह धंधा बड़े पैमाने पर फल-फूल रहा है।
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि वह तुरंत इस मामले में सख्त कार्रवाई करे और नकली सामान बेचने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान करे। इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब तक प्रशासन इस अवैध कारोबार को चलने देगा? क्या उपभोक्ताओं की सुरक्षा और पैसों की सुरक्षा सरकार और प्रशासन की प्राथमिकता में शामिल नहीं है? जब तक इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक वाहन मालिकों को इस नकली सामान के कारण होने वाले नुकसान को झेलना पड़ेगा।