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पुलिस की लापरवाही ने ली दो मासूम जिंदगियां: आपसी विवाद में पिता-पुत्र को बोलेरो से रौंदा, पीड़ित परिवार का सवाल- 'क्या हमारी गुहार सुनने लायक नहीं थे?'

by Admin on 2025-09-24 04:18:43

पुलिस की लापरवाही ने ली दो मासूम जिंदगियां: आपसी विवाद में पिता-पुत्र को बोलेरो से रौंदा, पीड़ित परिवार का सवाल- 'क्या हमारी गुहार सुनने लायक नहीं थे?'

रामानुजनगर/सूरजपुर। 24 सितंबर 2025। सूरजपुर जिले के तिवरागुड़ी गांव में एक मामूली मूंगफली खाने के विवाद ने खौफनाक हत्या का रूप ले लिया। लेकिन असली दोषी कौन? रिश्तेदारों की क्रूरता या पुलिस की घोर लापरवाही? पिता त्रिवेणी रवि (41) और उनके बड़े बेटे राजा बाबू (21) की बोलेरो से कुचलकर हत्या कर दी गई, जबकि छोटा बेटा करण गंभीर रूप से जख्मी है। मृतकों के परिजनों का आरोप है कि थाने में धमकियां सुनने के बावजूद पुलिस ने उन्हें घर भेज दिया, और फोन पर मदद की गुहार को ठुकरा दिया। "हमने बार-बार कहा था कि जान का खतरा है, लेकिन पुलिस ने कहा- 'हर झगड़े के लिए हम नहीं बैठे!' क्या यही है कानून का राज?" – त्रिवेणी रवि के भाई, रामू रवि ने आंसू भरी आंखों से आरोप लगाते हुए कहा।

घटना का खौफनाक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जहां बोलेरो बाइक सवार पिता-पुत्रों को पीछे से रौंदती नजर आ रही है। लेकिन सवाल यह है कि पुलिस की नाकामी ने इस खूनी खेल को क्यों हवा दी? सोमवार शाम को त्रिवेणी रवि के खेत में उनका छोटा बेटा करण मूंगफली की रखवाली कर रहा था। तभी रिश्तेदार नर्मदा सोनवानी और उसके बेटे बोलेरो पर सवार होकर पहुंचे। मूंगफली उखाड़कर खाने का झूठा आरोप लगाकर उन्होंने करण की पिटाई की, मोबाइल तोड़ा और लोहे की रॉड से हमला बोला। बीच-बचाव के लिए पहुंचे त्रिवेणी रवि और राजा बाबू को भी नहीं बख्शा गया। तीनों घायल होकर रामानुजनगर थाने पहुंचे, जहां शिकायत दर्ज करानी चाहते थे। लेकिन पुलिस ने क्या किया? दोनों पक्षों को बिठाकर 'समझौता' करवा दिया और बिना कोई कार्रवाई के घर भेज दिया!


"थाने में ही आरोपितों ने बोलेरो से कुचलने की धमकी दी थी। हमने पुलिसकर्मियों से गिड़गिड़ाया- 'सर, हमें सुरक्षित घर छोड़िए, जान का खतरा है।' लेकिन उन्होंने एक कान नहीं दबाया। क्या हम गरीब किसान इसलिए मरने के लिए बने हैं?" – घायल करण के चाचा, रामू रवि ने तीखे लहजे में आरोप लगाते हुए कहा। रात को थाने से लौटते वक्त नकना चौक पर घात लगाए बैठे आरोपितों ने बोलेरो से पीछे से जोरदार ठोकर मारी। त्रिवेणी और राजा बाबू मौके पर तड़प-तड़पकर मर गए, जबकि करण सूरजपुर जिला अस्पताल में जिंदगी-मौत से जूझ रहा है। और हां, घटना से ठीक पहले पीड़ितों ने पुलिस को फोन किया था। जवाब? "हम हर विवाद सुलझाने के लिए नहीं बैठे!" – यह पुलिस का वह कथित बयान है जो परिवार को आज भी सताता है।


मौत के बाद हरकत में आई पुलिस अब 'जांच' का ढोंग रच रही है। थाना प्रभारी राजेंद्र साहू का बयान सुनिए- "दोनों पक्ष एक ही परिवार से हैं, समझौता हो गया था।" अरे साहब, समझौते की आड़ में हत्या की साजिश को क्यों नजरअंदाज किया? थाने में लगे सीसीटीवी फुटेज से साफ हो जाएगा कि धमकियां दी गईं या नहीं। लेकिन सवाल उठता है- रामानुजनगर, जो राजनीतिक हब कहलाता है, वहां पुलिस की लापरवाही कोई नई बात नहीं। पहले भी कई जिंदगियां इसी थाने की उदासीनता की भेंट चढ़ चुकी हैं। अवैध कारोबार फल-फूल रहे हैं, अपराधियों को संरक्षण मिल रहा है, और लापरवाह थाना प्रभारी को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। अनुभवी अधिकारियों को क्यों नहीं? तभी तो अपराधमुक्त रामानुजनगर बन सकेगा।

मृतकों के परिजन और ग्रामीण गुस्से में हैं। "पुलिस पर कार्रवाई हो, विभागीय जांच हो, और दोषी अफसरों को सजा मिले!" – त्रिवेणी रवि की पत्नी, सुनीता रवि ने चीखते हुए कहा। स्थानीय नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी एकजुट हो रहे हैं। वे उच्च अधिकारियों से मांग कर रहे हैं कि सीसीटीवी फुटेज खंगाला जाए, जवाबदेही तय की जाए, और लापरवाह पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई हो। अन्यथा, यह घटना सिर्फ दो मौतों तक सीमित नहीं रहेगी- बल्कि पूरे सूरजपुर में कानून की हत्या का प्रतीक बनेगी।


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